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भारतीय क़ारी ने कहा:

भारत में ईरानी क़ारियों की लोकप्रियता

15:57 - April 23, 2017
समाचार आईडी: 3471386
अंतरराष्ट्रीय टीम: क़िराअत को दिशा देने तथा दर्शकों पर इसके प्रभाव को डालने के लिए पवित्र कुरान के अर्थ व अवधारणाओं को समझना महत्वपूर्ण है।

भारत में ईरानी क़ारियों की लोकप्रियता

"मोहम्‍मद काशान ख़ान", 19 वर्षीय भारतीय क़ारी ने अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार ऐजेंसी(IQNA) के साथ एक साक्षात्कार में कहा, मैं ने सात साल की उम्र में कुरान पढ़ना शुरू कर दिया और इस अवधि के दौरान तफ़्सीरे "इब्न कषीर" और "जलालैन"(यह तफ़्सीर क्योंकि दो आलिमों जलालुद्दीन स्थानीय और उनके छात्र जलालुद्दीन सुयूती ने एक साथ लिखा था तफ़्सीरे जलालैन के नाम से जानी जाती है) सहित कई व्याख्याओ के अध्ययन के कारण कुरान की अवधारणाओं को समझने में सक्षम हो गया हूं।

हिंदी क़ारी ने इस सवाल के जवाब में कि एक व्यक्ति के जीवन को कुरान कैसे प्रभावित करता है कहाः कि पवित्र कुरान के प्रभाव मैं यह जानता हूँ मेरी जिंदगी क़ुरआन है और कुरान स्वयं ऐक जीवन है।

मोहम्‍मद काशान ने अपने माता-पिता की भूमिका की पहले कुरानी शिक्षकों के रूप में सराहना की और कहाःमेरे माता पिता हमेशा मेरे जीवन में शिक्षक और मार्गदर्शन के रूप में रहे और यदि उनकी मदद और सलाह न होती तो कभी नहीं सफल होता।

उन्होंने ईरानी किशोरों से आग्रह किया कि कुरान हिफ़्ज़ करने की उपेक्षा न करें, क्योंकि ईरान एक कम्पिलीट इस्लामी देश है और कुरान प्रतियोगिता का आयोजन बताता है कि ईरानी सरकार किस हद तक कुरान के reciters और हाफ़िज़ों का समर्थन करती है।

भारत में ईरानी reciters की लोकप्रियता

मोहम्‍मद काशान अच्छे स्वभाव के ईरानी क़ारी, "हामिद शाकिर नजाद" की ओर इशारा करते हुऐ कहा: ईरानी reciters हिंदी पाठकों के बीच महान लोकप्रियता रखते हैं और मैं ईरानी reciters की सुंदर तिलावत का आनंद लेता हूं।

उन्हों नेअपने गुरु क़ारी "फ़रहाद सुल्तान ख़ान" को याद किया और कहाःउन्हों ने 2014 में ईरान की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया था और हमेशा इस टूर्नामेंट से अपनी अच्छी यादों को परिभाषित किया करते थे, मैं हमेशा कामना करता था कि एक दिन टूर्नामेंट मैं भाग लूं और भगवान का धन्यवाद करता हूं मेरे सपने पूरे हुऐ।

इस युवा हिन्दी क़ारी ने ईरानी टूर्नामेंट को महान प्रतिद्वंद्विता बताया और बल दियाः ईरानी स्वागत व सम्मान जो विदेशी पाठकों के लिए अंजाम दिया गया सराहना के पात्र है और बावजूद इसके कि मैं सुन्नी हूँ, लेकिन यहां अन्य पाठकों के साथ मैं अकेला नहीं महसूस कर रहा है।

उन्होंने टूर्नामेंट के नारे की ओर भी इशारा किया और कहा:यह नारा एकता के माअने में है और एकता का मतलब यह है कि सुन्नी और शियाओं के बीच कोई अंतर नहीं है।

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