इराक़ी दाइशयों की हार में ईरान के सर्वोच्च नेता की अद्वितीय भूमिका
अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार ऐजेंसी(IQNA) पाकिस्तान के अनुसार, हुज्जतुलइस्लाम हसनैन विजदानी, क्वेटा के शुक्रवार उपदेशक ने कल 18 अगस्त को इस शहर के शुक्रवार के प्रवचन में इराक में दाइश की विफलता के कारणों के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक आयतुल्लाह ख़ामेनेई(मद.ज़ि) के मुख्य उपायों तथा अयातुल्ला सैयद अली सिस्तानी के फ़तवा को बताया।
उन्होंने कहाः कि इराक और सीरिया में विजय अयातुल्लाह ख़ामेनई की नीतियों, बुद्धि और सहयोग तथा शिया दुनिया के बुद्धिमान फ़क़ीह और मौक़ईयत शिनास अयातुल्लाह सीस्तानी के जिहादी फ़तवे का नतीजा थी, जिन्होंने न केवल शियाओं का समर्थन किया, बल्कि दमनशील लोगों का भी समर्थन किया। इस मरजअ ने इराकी युवाओं को प्रेरित किया और अपने फ़तवे से हश्दुश-शअबी (इराक़ी जनता बल) को बनाया। शिया युवाओं का खून सुन्नियों को बचाने के लिए धरती पर गिरा और इराकी युवकों का काम लोगों की रक्षा करने में बेनज़ीर था, यह सब अयातुल्ला सीस्तानी के फतवे के प्रभाव को दर्शाते हैं"।
क्वेटा के शुक्रवार उपदेशक ने इस्लामी दुनिया में इन दो बेबदील पात्रों की भूमिका की प्रशंसा करते हुऐ कहा, वह लोग जो नादानी या साजिश के तहत, मराजेअ का विरोध करते हैं मौं पूछता हूं कि यदि दुनियाऐ इस्लाम के इन दोनों सर्वोच्च फ़क़ीहों के उपाय व इक़्दामात ना होते तो क्या आज कर्बला, नजफ़ और ज़ैनब बीबी का रौज़ा या पूरा इराक और सीरिया दाइश के नियंत्रण में नहीं होता? और क्या विभिन्न देशों में अहले बैत के अनुयायियों के लिए गंभीर खतरे उत्पन्न नहीं होते?
उन्होंने मराजेअ तक़्लीद की प्रशंसा के साथ, युवाओं से आग्रह किया कि इस्लाम के दुश्मनों की साजिशों को जो युवाओं को मराजेअ तक़्लीद से हटा देना चाहते हैं अपनी जागृति के साथ बेअसर करदें।