IQNA

रोहिंग्याई मुसलमानों को निष्कासित करने के भारत के फैसले की निंदा

16:44 - August 20, 2017
समाचार आईडी: 3471732
अंतर्राष्ट्रीय समूह: मानवाधिकार समूहों ने 40,000 रोहिंग्या मुसलमानों को निकालने के भारत के फैसले की निंदा की है और कहा है कि भारत को अपनी कानूनी दायित्वों को पूरा करना चाहिए।

रोहिंग्याई मुसलमानों को निष्कासित करने के भारत के फैसले की निंदा

अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार ऐजेंसी(IQNA) समाचार साइट«arakanna» के अनुसार, लाखों रोहिंग्याई मुसल्मान बड़े पैमाने पर हत्या, बलात्कार और घरों के जलाऐ जाने जैसी हिंसा की वजह से म्यांमार से पलायन करने के लिए मजबूर हुऐ और भारत भाग आऐ हैं लेकिन भारत सरकार ने उन्हें निष्कासित करने का निर्णय लिया है।

मानवाधिकार समूहों ने 40,000 रोहिंग्याई मुसलमानों को निष्कासित करने के भारत के फैसले की निंदा की है और कहा है कि भारत को अपनी कानूनी दायित्वों को पूरा करने और बेघर लोगों जो म्यांमार में गंभीर दमन का शिकार बने हैं की रक्षा व समर्थन करे।

भारत की केंद्रीय सरकार ने सभी राज्यों से आग्रह किया है कि वे अवैध अप्रवासियों की पहचान करें और उन्हें बाहर निकाले, जिनमें रोहिंगिया मुसलमान भी शामिल हैं, यहां तक कि वह लोग भी जो संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी द्वारा पंजीकृत हैं।

राघव मेनन, भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल के निदेशक ने कहाःभारतीय अधिकारी म्यांमार में रोहिंग्याई मुसलमानों के मानव अधिकारों की स्थिति के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं बहुत क्रूर है कि उन्हें उनके दुष्ट भाग्य पर छोड़ दिया जाऐ।

उन्होंने कहाः कि यह बात अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भारत द्वारा अपने दायित्वों को महत्वता ना देने को दर्शाता है।

दक्षिण एशियाई ह्यूमन राइट्स वॉच की निदेशक मिनाकी गांगुली ने भी कहाः कि भारत सरकार को रोहंग्या के मुसलमानों को वापस करने के प्रयासों को खत्म करना चाहिए और इसके बदले उन्हें पंजीकरण करके स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार व अध्ययन करने के अवसर उपलब्ध कराना चाहिए।

म्यांमार बौद्ध देश में रोहिंग्याई मुस्लिम अल्पसंख्यक नागरिकता के अधिकार से वंचित हैं और इस देश में सदियों से रहने के बावजूद उन्हें अवैध आप्रवासियों का नाम दिया जाता है

अधिक्तम रोहिंगियाई मुसल्मान ब्यापक बौद्ध हिंसा के कारण म्यांमार से भाग गऐ और अज्ञात भविष्य लेकर पड़ोसी देशों में चले गऐ।

3632342

captcha